बंदी सुधार गृह का जीवंत उदाहरण बनी उपजेल लवकुशनगर आध्यात्मिकता के साथ समाज सुधार का संकल्प लेकर जाते है रिहा कैदी।





मनोज मिश्रा/विराट बसुंधरा

विशेष रिपोर्ट 

भोपाल। छतरपुर जिले के लवकुशनगर उपजेल में विराट बसुंधरा के मनोज मिश्रा सहित आध्यात्मिक कथा वक्ता अमित अभ्यरामदास सहित युवा समाजसेवी  गौरव शुक्ला शुभम के साथ जेल परिसर पहुचे जहा जेल में पदस्थ जेल अधीक्षक अनिल पाठक से अनुमति प्राप्त कर जेल परिसर में प्रवेश किया जेल के अंदर प्रवेश कर देखा गया पूरा जेल का अंदर का परिसर पूरा शुद्ध ,पवित्र पूरा परिसर गाय के गोबर से शुद्ध परिसर कई शुगन्धित फूलों की बगिया परिसर के अंदर बजरंगबली स्वामी,भोलेनाथ, गणेश पार्वती की अनुपम प्रतिमाए जो कि भक्ति भाव को हृदय के पटल को खोल देती है,फिर हमारी टीम अंदर बंद कैदियों से मिला बैरिकों के बाहर देखा कि कैदी भी ढोलक मजीरा के साथ भजन गायन में लीन थे ,हर जगह स्वक्षता कही भी एक पत्ते की गंदगी भी नही देखी गई।

 

आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने पहुचे बागेश्वर महराज -

       जेल परिसर में करीब 1 बजे देखा गया कि छतरपुर जिले के प्रसिध्द आश्रम के हनुमान जी स्वामी के कृपापात्र बाल संत बागेश्वर महराज जी का जेल परिसर में आगमन हुआ जेल परिसर में स्वामी जी महाराज की जेल अधीक्षक मय स्टाफ पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया महराज जी की आरती बन्दना जेल परिवार की ओर से की गई स्वामी जी महाराज के वाणी के अमृत वर्षा सभी आतुर थे उसके पहले जेल अधीक्षक अनिल पाठक द्वारा स्वामी जी के जेल परिसर आने पर सभी स्टाफ सहित जेल में बंद कैदियों के लिए अहोभाग्य बताया स्वामी जी ने अपने आध्यात्मिक प्रवचन में कहा कि यह वास्तव में जेल नही सुधार गृह है उन्होंने कहा कि सभी ब्यक्तियो को अपने किए हुए बुरे कर्मो की सजा यही भुगतनी पड़ती है ,किन्तु पश्चाताप के बाद पुनः नए जीवन जीने की प्रेरणा भी मिलती है स्वामी महराज रामायण ,महाभारत के कई मार्मिक प्रसंगों को उपस्थित लोगों के समक्ष रखा एवम बंदियो से पुनः कोई बुरे कर्म न करने सपथ दिलाई स्वामी जी ने पूरे जेल परिसर का भ्रमण कर सभी के साथ प्रसाद ग्रहण किया एवम जेल प्रशासन के अनुशासन, पवित्रता के लिए जेल अधीक्षक अनिल पाठक जी की भूर भूर प्रसंशा की आयोजन के दौरान कैदियों द्वारा भी हरि नाम कीर्तन एवम भजनों की अनुपम प्रस्तुति दी गई।

 

क्या कहते है जेल अधीक्षक अनिल पाठक --

     श्री पाठक जेल अधिक्षक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं विगत 2 सालों से यहाँ पदस्थ हूं उन्होंने कहा कि जेल हमारा परिवार की भांति अपराध करके लोग जेल आते है किंतु जेल जेल नही है अपितु एक सुधार गृह है प्रति दिन सुंदर कांड पाठ सहित रामायण का पाठ कैदियों द्वारा किया जाता है कुछ कैदियों को सुंदर कांड पाठ,कुछ को गीता पाठ सहित रामायण की चौपाइयों  कंठस्थ हो गई, मनोप्रवित्ति के बदलाव हेतु अभी तक मे जेल परिसर में कई धार्मिक आयोजन किए गए जिसमे श्री मद भागवत, श्री राम कथा सहित कई यज्ञ भी कराए गए है कुल मिलाकर 50 से ज्यादा धार्मिक आयोजन हो चुके है जिसमे मुख्य स्रोत कैदी ही रहते है आयोजनों के बाद देखा गया है कि कैदियों के मानसिक प्रबृत्ति धार्मिक एवम स्वभाव में परिवर्तन आया है जेल परिसर में कई ख्याति प्राप्त संतो के पदार्पण भी हो चुके है जिससे कैदी जेल में भी आपस मे भाईचारे के भावना से रहते है और जब यहाँ से जाते है तो अपराध कभी नही करने के संकल्प से जाते है,इसमें पूरे स्टाफ का सहयोग रहता है।




 


 

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