हत्या के पांच दिन बाद भी प्रशासन ने पीड़ित परिवार की नहीं ली सुध

*रीवा के युवक की राजस्थान के उदयपुर मे ह्त्या ,पाँच दिन बाद भी मृतक के परिवार की प्रशासन ने नही ली सुध*


*शासन प्रशासन की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल गरीब आदिवासी की करवा दी गई हत्या*


 *परिजनों का आरोप ठेकेदार ने ही करवाई मेरे बच्चे की हत्या ठेकेदार पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही*


*♦️रीवा - बरॉव बड़ी खबर* 
उजड़ गई मां की गोद उजड़ गया पिता का सहारा कौन कमाए गा और हमें खिलाएगा कुछ ऐसा हाल पिता का रो रहा गिड़गिड़ा रहा बीते लेकिन हाय रे शासन रीवा जिले की पुलिस 14 मई की मध्य रात्रि को राजस्थान के उदयपुर जिले मे जीतेन्द्र रावत नामक युवक की हत्या कर दी गई है,मृतक मध्यप्रदेश के रीवा जिले के शाहपुर थाना अन्तर्गत ग्राम पंचायत बराव का निवासी है जिसकी लाक डाउन मे फ़ंसे रहने के दरमियान राजस्थान के उदयपुर जिले मे ह्त्या कर दी गई थी जिसके बाद मृतक की लाश लाश रीवा लाई गई थी।
      शाहपुर थाना प्रभारी ने घटना के सम्बन्ध मे बताया की आपसी रंजिश के चलते साथ मे काम करने वाले भोला रावत ने चाकू मारकर जीतेन्द्र रावत की ह्त्या की है।
      जिसके बाद राजस्थान के उदयपुर जिले मे हत्या सहित अन्य धाराओ के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
उधर मृतक के परिजनो ने आरोप लगाया है की मृतक जिस ठेकेदार मुकेश जायसवाल के ठेकेदारी मे नौकरी करता था उसी ने पैसे देकर ह्त्या करवाई है।
         साथ ही परिजनो ने शाहपुर थाना की पुलिस पर सुनवाई न करने और थाने से भगा देने का आरोप भी लगाया है।साथ ही ठेकेदार मुकेश जायसवाल को बचाने के आरोप भी मृतक के परिवार द्वारा लगाये जा रहे हैं।जबकि शाहपुर थाना प्रभारी ने बताया की उदयपुर पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है जिस पर नियमानुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी। 
मृतक जीतेन्द्र रावत शाहपुर थाना अन्तर्गत बराँव गाँव के आदिवासी परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था,जिसकी हत्या के बाद उसके वृद्ध माता पिता एवं परिवार पूरी तरह से टूट गया है।सरकार भले ही आदिवासी हितों के संरक्षण के लाख दावे करे,किन्तु मृतक के परिवार की न तो सरकार के जनप्रतिनिधियों ने न ही सरकारी नुमाइन्दों ने ही सुध ली।
     कहने को तो आदिवासियों के लिये हजारो योजनाये हैं किन्तु विपत्ति मे फ़ंसे असहाय हुये इस परिवार के लिये सरकार की कोई योजना नही है।
     यहा तक की मृतक के अन्तिम संस्कार और परिवार को मिलने वाली परिवार सहायता योजना का लाभ भी इस परिवार को नही मिला।जबकि लाक डाउन मे  दुर्घटनाओ मे मरने वाले के परिवारो के लिये सरकार ने आर्थिक सहायता देने की घोषणा कर रखी है।किन्तु यह परिवार भूखो मरने की कगार पर है फिर भी प्रशासन के कान मे जूं तक नही रेंगी।
देखते हैं इस आदिवासी परिवार की कोई सुध लेता है या मरने के लिये छोड़ दिया जाता है।


अशोक मिश्रा रीवा