सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार,एक बदनुमा दाग

बड़ी खबर
अशोक मिश्रा सह संपादक विराट वसुंधरा
रीवा:सिरमौर
।।सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार,एक बदनुमा दाग।।


आजकल सिरमौर में भ्रष्टाचार सर्वत्र व्याप्त है।एक तरह से भ्रष्टाचार शिष्टाचार हो गया है।ऐसे-ऐसे घोटाले,काण्ड एवं भ्रष्टाचार के किस्से उद्घाटित हो रहे हैं जिन्हें सुनकर एवं देखकर शर्मसार हो जाते हैं।समानांतर काली अर्थव्यवस्था इतनी प्रभावी है कि वह कुछ भी बदल सकती है,बना सकती है और मिटा सकती है।भ्रष्टाचार का रास्ता चिकना ही नहीं, ढालू भी है।यही कारण है कि इसमें चिकित्सा के क्षेत्र को भी नहीं बख्शा है। हमारा नेतृत्व और देश को संभालने वाले हाथ दागदार हैं इसलिए वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करते हुए दिखाई नहीं देते।मध्यप्रदेश सरकार के सिविल अस्पताल हो या प्रदेश के सर्वोच्च आॅल इंडिया मेडिकल इंस्टीच्यूट या सिरमौर अस्पताल इन सभी जगहों पर भ्रष्टाचार का व्याप्त होना बेहद चिंताजनक है।हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार के सिरमौर सिविल अस्पताल में मरीजों के इलाज में भ्रष्टाचार की खबरों ने न केवल चैंकाया है बल्कि शर्मसार किया है।अस्पताल में दलालों का बोलबाला है जो मरीजों से पैसे लेकर न केवल उनका इलाज कराते हैं बल्कि टाके मलहम पट्टी तक की भी व्यवस्था करते हैं।जहां सिविल अस्पताल में मरीजों को इलाज के लिए लंबी लाइन या सिफारिशों की जरूरत पड़ती है।यह सब होने के बावजूद भी इलाज हो,इसकी कोई गारंटी नहीं है। इससे पता चलता है कि दलालों को किसी का डर नहीं है और वह धड़ल्ले से अपना काम कर रहे हैं।इसमें सिविल अस्पताल के कई डॉक्टर व कर्मचारी भी शामिल हैं,क्योंकि इनके बगैर यह अवैध धंधा नहीं हो सकता है।इससे बढ़कर और क्या दुर्भाग्य होगा? क्या विश्व के हासिये में उभरती भारत की तस्वीर को हम कुछ नया रंग नहीं दे सकते?क्या विश्व का नेतृत्व करने के लिए हममें इन नकारात्मक मूल्यों को समाप्त करने की पात्रता विकसित नहीं हो सकती? सरकारें किसी की भी हो हमें व्यक्ति नहीं विचार और विश्वास चाहिए।चेहरा नहीं चरित्र चाहिए।बदलते वायदे नहीं,सार्थक सबूत चाहिए।वक्तव्य कम और कर्तव्य ज्यादा पालन होंगे।तभी नया भारत निर्मित हो पाएगा।आश्चर्य है कि सिविल अस्पताल के परिप्रेक्ष्य में कुछ दिनों में दलालों का इतना मजबूत नेटवर्क बना लिया है कि उनकी सेवाओं के बिना इलाज ही असंभव होता जा रहा है।निश्चित रूप से पिछले कई वर्षो से सिविल अस्पताल में यह सब चल रहा है।डॉक्टरों से मिलवाने,  किसी तरह की जांच कराने,मरीज के लिए खून की जांच व्यवस्था करने के एवज में पैसे लेने की शिकायतें पहले भी आती रही हैं,लेकिन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती है।सिविल अस्पताल में पहुंचने वाले ज्यादातर गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार के मरीज होते हैं।वे निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।इस स्थिति में सरकारी अस्पताल ही इनके लिए एक मात्र सहारा है,लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगती है।इस तरह के भ्रष्टाचार से मध्यप्रदेश सरकार के कामकाज पर भी प्रश्न चिह्न है।सरकार हर गरीब को स्वास्थ्य सुविधायें देने का दावा कर रही है,लेकिन हकीकत इससे काफी दूर है।अवस्थापना सुविधाएं एक दिखावे के रूप में खड़ी, इसकी व्यवस्था खोखली।सिविल अस्पताल स्वास्थ्य केंद्र सिरमौर चिकित्सकों एवं सुविधाओं के अभाव में खुद बीमार पड़ा है।इसकी मेजर सर्जरी कब होगी किसी को पता नहीं।जो भी चिकित्सक,महिला चिकित्सक,रेडियोलाजिस्ट,फिजीशियन,एक्सरे टेक्नीशियन से लेकर लिपिक तक पदस्त हैं उनको ड्यूटी से ज्यादा अपना आवास और स्वयं की क्लीनिक ही पसंद है।यहां तो टाके से लेकर मलहम पट्टी तक ड्रेसर नहीं बल्कि बार्ड बॉय राकेश द्वारा ३००से ५०० तक की सुविधा शुल्क लेकर सिविल अस्पताल में सहायता प्रदान की जाती है।korona नामक महामारी से जब पूरा देश जूझ रहा हो तब भी यहां के बी एम ओ से लेकर सभी चिकित्सक स्वयं की क्लीनिक में सुविधा शुल्क १००से ३०० सौ रुपए लेकर ही मरीज को इलाज दे पाते हैं।सिविल अस्पताल सिरमौर में सी वी सी मशीन एवम् एक्सरे मशीन उपलब्ध है,फिर भी ०३ वर्षों से खराब पड़ी है जिसकी सिकायत भी उच्चाधिकारियों से कई बार की जा चुकी है।सिविल अस्पताल के उपकरणों में सुधार न हो पाना कहीं न कहीं इस बात की ओर भी आकर्षित करता है,सिविल अस्पताल की मशीनों में शुल्क नहीं मिलेगी।यही दशा एक्सरे मसीन की है,जिसके संबंध में ड्रा डी पी पांडेय बी एम ओ सिरमौर स्वयं मुझसे तीन दिवस से मिस्त्री की उपलब्धता सुलभ न हो पाना बताया है। जबकि ड्रा डी पी पांडेय बी एम ओ सिरमौर की स्वयं की एक्सरे पैथालॉजी धड़ल्ले से गरीब मरीजों का दोहन करने में सफल है।प्रतिदिन १५० से २५० मरीज अस्पताल की ओपीडी में आते हैं, लेकिन डाक्टरों के ओ पी डी में न बैठने के कारण डॉक्टरों के बगले में डॉक्टर रूपी ज्योतिषों को जो भी पैसा गरीब बेसहारा लिए रहते हैं इन्हीं को निक्षावर कर बिना दवा य आधी अधूरी दवा लेकर घर वापस हो जाते हैं।ऐसी हरकतों एवम् भ्रष्टाचार का सिरमौर की जनता घोर निन्दा करते हुए उच्चाधिकारियों से कार्यवाही की मांग करते हैं।


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