*शुभ प्रभात*
अशोक मिश्रा की कलम से
एक बार रास्ते में एक अमीर आदमी की कार ख़राब होने पर वह दूर एक पेड़ के नीचे खड़े एक रिक्शा वाले के पास जाता है।
वहाँ जाकर देखता है कि रिक्शा वाले ने अपने पैर हैंडल के ऊपर रखे होते है। पीठ उसकी अपनी सीट पर और सिर जहां सवारी बैठती है ,उस सीट पर होता है ।
और वो मज़े से लेट कर गाना गुन-गुना रहा होता है। वो अमीर व्यक्ति रिक्शा वाले को ऐसे बैठे हुए देख कर बहुत हैरान होता है कि एक व्यक्ति ऐसे बेआराम तरीक़े से कैसे रह सकता है..? कैसे खुश रह सकता है ?
कैसे गुन-गुना सकता है..?
वो उसको 20 रुपए में चलने के लिए बोलता है।रास्ते में वो रिक्शा वाला वही गाना गुन-गुनाते हुए मज़े से रिक्शा खींचता है।
वो अमीर व्यक्ति एक बार फिर हैरान कि एक व्यक्ति 20 रूपए लेकर इतना खुश कैसे हो सकता है..?,इतने मज़े से कैसे गुन-गुना सकता है..?,वो थोडा ईर्ष्या पूर्ण हो जाता है और रिक्शा वाले को समझने के लिए उसको अपने बंगले में रात को खाने के लिए बुला लेता है।
रिक्शा वाला उसके बुलावे को स्वीकार कर लेता है।
वो अपने हर नौकर को बोल देता है कि इस रिक्शा वाले को सबसे अच्छे खाने की सुविधा दी जाए।
अलग अलग तरह के खाने की सेवा दी जाती है। सूप्स, आइस क्रीम, गुलाब जामुन सब्जियां यानि हर चीज वहाँ मौजूद थी।
वो रिक्शा वाला खाना शुरू कर देता है, कोई प्रतिक्रिया, कोई घबराहट बयान नहीं करता। बस वही गाना गुन-गुनाते हुए मजे से वो खाना खाता है।
सभी लोगो को ऐसे लगता है जैसे रिक्शा वाला ऐसा खाना पहली बार नहीं खा रहा है। पहले भी कई बार खा चुका है।
वो अमीर आदमी एक बार फिर हैरान,
एक बार फिर ईर्ष्या पूर्ण कि कोई आम आदमी इतने ज्यादा तरह के व्यंजन देख के भी कोई हैरानी वाली प्रतिक्रिया क्यों नहीं देता और वैसे कैसे गुन-गुना रहा है जैसे रिक्शे में गुन-गुना रहा था।
यह सब कुछ देखकर अमीर आदमी की ईर्ष्या और बढती है।
अब वह रिक्शे वाले को अपने बंगले में कुछ दिन रुकने के लिए बोलता है। रिक्शा वाला हाँ कर देता है।
उसको बहुत ज्यादा इज्जत दी जाती है। कोई उसको जूते पहना रहा होता है, तो कोई कोट ।
एक बेल बजाने से तीन-तीन नौकर सामने आ जाते है। एक बड़ी साइज़ की टेलीविज़न स्क्रीन पर उसको प्रोग्राम दिखाए जाते है। और एयर-कंडीशन कमरे में सोने के लिए बोला जाता है।
अमीर आदमी नोट करता है कि वो रिक्शा वाला इतना कुछ देख कर भी कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे रहा। वो वैसे ही साधारण चल रहा है। जैसे वो रिक्शा में था,वैसे ही है । वैसे ही गाना गुन-गुना रहा है जैसे वो रिक्शा में गुन-गुना रहा था।
अमीर आदमी की ईर्ष्या बढ़ती चली जाती है और वह सोचता है कि अब तो हद ही हो गई । इसको तो कोई हैरानी नहीं हो रही, इसको कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा। ये वैसे ही खुश है, कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे रहा।
अब अमीर आदमी पूछता है: आप खुश हैं ना?
वो रिक्शा वाला कहता है: जी साहेब बिलकुल खुश हूँ ।
अमीर आदमी फिर पूछता है: आप आराम में हैं ना ?
रिक्शा वाला कहता है: जी बिलकुल आरामदायक हूँ ।
अब अमीर आदमी तय करता है कि इसको उसी रिक्शा पर वापस छोड़ दिया जाये ।
वहाँ जाकर ही इसको इन बेहतरीन चीजो का एहसास होगा। क्योंकि वहाँ जाकर ये इन सब बेहतरीन चीजो को याद करेगा।
अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी को बोलता है कि इसको कह दो कि आपने दिखावे के लिए कह दिया कि...
आप खुश हो, आप आरामदायक हो।
लेकिन साहब समझ गये है कि आप खुश नहीं हो ,आराम में नहीं हो। इसलिए आपको उसी रिक्शा के पास छोड़ दिया जाएगा।”
सेक्रेटरी के ऐसा कहने पर रिक्शा वाला कहता है: ठीक है सर, जैसे आप चाहे, जब आप चाहे।
उसे वापस उसी जगह पर छोड़ दिया जाता है जहाँ पर उसका रिक्शा था।
अब वो अमीर आदमी अपनी गाड़ी के काले शीशे ऊँचे करके उसे देखता है।
रिक्शे वाले ने अपनी सीट उठाई बैग में से काला सा, गन्दा सा, मैला सा कपड़ा निकाला, रिक्शा को साफ़ किया, मज़े में बैठ गया और वही गाना गुन-गुनाने लगा।
अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी से पूछता है: “कि चक्कर क्या है। इसको कोई फ़र्क़ ही नहीं पड रहा ,इतनी आरामदायक वाली, इतनी बेहतरीन जिंदगी को ठुकरा के वापस इस कठिन जिंदगी में आना और फिर वैसे ही खुश होना, वैसे ही गुन-गुनाना।”
फिर वो सेक्रेटरी उस अमीर आदमी को कहता है: “सर यह एक कामयाब इन्सान की पहचान है । एक कामयाब इन्सान वर्तमान में जीता है, उसको मनोरंजन (Enjoy) करता है और बढ़िया जिंदगी की उम्मीद में अपना वर्तमान खराब नहीं करता ।
अगर उससे भी बढ़िया जिंदगी मिल गई तो उसे भी वेलकम करता है ,उसको भी मनोरंजन (enjoy) करता है उसे भी भोगता है और उस वर्तमान को भी ख़राब नहीं करता । और अगर जिंदगी में दुबारा कोई बुरा दिन देखना पड़े तो भी उस वर्तमान को उतने ही ख़ुशी से, उतने ही आनंद से, उतने ही मज़े से, भोगता है मनोरंजन करता है और उसी में आनंद लेता है”
इसलिए ध्यान रखिए कि कामयाबी हमारी ही ख़ुशी में छुपी है, अच्छे भविष्य की उम्मीद में अपने वर्तमान को ख़राब नहीं करें। और न ही कम अच्छे दिनों में ज्यादा अच्छे दिनों को याद करके अपने वर्तमान को ख़राब करें।अपने वर्तमान में आनंद लें,बस ये विचार कर लें कि जो आपके पास है क्या लाखों -करोड़ों से आज भी बेहतर नहीं है ?
आपका दिन शुभ हो,मंगलमय हो ।बस घर में रहें,सुरक्षित रहें,ख़ुश रहें 🙏🙏🙏🙏