*मऊगंज रीवा*
बड़ी खबर
अशोक मिश्रा की रिपोर्ट
*कटनी से पैदल चलकर 05 की संख्या में उत्तर प्रदेश और दो हनुमना अंचल के अपने घर के लिए निकला मजदूर वर्ग*
*भूखे प्यासे कई सैकड़ों किलोमीटर के बेहद पीड़ादायी राह में निकले वेवश लोगो की रोज आ रही सामने तस्वीरे*
*राज्य सरकारों द्वारा इन मजबूरों की अनदेखी का है यह नतीजा*
मऊगंज- देश के बिभिन्न प्रान्तों के साथ ही प्रदेश के भीतर भी अन्य जिलों में काम के लिए गये गरीब लोगों को भूंख और प्यास ने उन्हें अपने घरों के लिए भागने के लिए मजबूर कर दिया है।
आज कटनी के किसी फैक्ट्री में काम करने बाले दोपहर लगभग 12 बजे कटनी से पैदल चलकर 05 की संख्या में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिला के मजदूर वर्ग का समूह व दो झरी बहरी के बताये गए हैं।
इसमे एक नेत्रहीन भी शामिल हैं।
जो सड़को से गुजर रहे थे जिन पर मऊगंज प्रशासन के लोगों की नजर पड़ गयी और वह इन्हें सिविल अस्पताल में मेडिकल चेकप के लिये ले जाया गया जहां पर इनको स्वस्थ पाया गया।
तो दोनो स्थानीय लोगों को मऊगंज में क्वोरान्टाइन किया गया है।
शेष के लिये प्रशासन का यही से काम खत्म इन्हें भूंखे प्यासे ही उत्तर प्रदेश के लिए चलता कर दिया गया। जो कि शासन प्रशासन का भूखे प्यासे मजबूरों के लिए की गई समुचित व्यवस्था की पोल खोल रहा है।
*खतरों से भरा लोगो का यह सफर हालत बेहद चिंताजनक*
लॉक डाउन के बाद बाहरी मजदूर बर्ग के लोगो की भोजन पानी की व्यवस्था का सारा दावा खोखला दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में वहां की सरकार के अलावा ज्यादातर अन्य राज्य सरकारों का अपने प्रदेश के दूसरे जिले और दूसरे राज्यों के बाहरी मजदूर वर्ग के लोगोे के लिये किये गये बादे और उनकी कथनी और करनी में बड़ा भेद है। देश भर में प्रतिदिन प्रदेश के हर कोने से भूंखे प्यासे लोग खतरनाक लंबे सफर पर निकल पड़े हैं। जिसमे कुछ के साथ महिला और बच्चे भी शामिल हैं। इस तरह से देखा जाय अनगिनत लोग सड़कों से गुजर रहे हैं। यह हृदयविदारक तस्वीर इसके लिए जिम्मेदार संवेदनहीन सरकारो की नीति नियत को दर्शाता है।
इस तरह से अपने गंतव्य को निकले मजबूर लोग यदि भाग्यशाली हुए तो इस बीच कोई दाता धर्मी मिल गये तो दाना पानी नसीब हुआ।
अन्यथा पता नही बिना दाना पानी के कितने दिन का होगा यह बेहद पीड़ादायी सफर।
लॉक डाउन की घोषणा के दौरान देश के यशस्वी प्रधानमंत्री द्वारा बेहद गम्भीरता के साथ सभी राज्य सरकारों को उनके उत्तर दायित्व का बोध कराते हुए कहा गया था एक भी व्यक्ति को भूँखा प्यासे नही रहना चाहिए। लेकिन बेबश मजबूर लोगो की अनदेखी निरन्तर जारी है जो कोरोना महामारी से भी ज्यादा दर्दनाक दिख रही है।