कर्ज से लदे किसान, धान खरीदी न होने से पहुॅचें आत्म हत्या के मुहानें पर।

 

जीतेन्द्र बहादुर सिंह 

सीधी  मध्य प्रदेश सरकार किसानों के हर समस्या को दूर करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ किसानों को अपनी उपज बेंचने के लिये जद्दोजहद करना पड रहा है।

किसानों के साथ पटवारी से लेकर किसानों की प्रमुख संस्था सेवा सहकारी समिति के अधिकारी कर्मचारी दुव्र्यवहार कर रहे हैं जिसके कारण किसानों को फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है ऐसा ही मामला शुक्रवार को तब देखने को मिला जब जिले के एक सैकडा से ज्यादा किसान अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर से मुलाकात किये जहॉ उन्हे आश्वसन का झुन झुना थमा कर लौटा दिया गया।

बतादें कि किसानों के खेतों में जो फसल खरीफ के सीजन में बोई गयी थी उसे पटवारियों नें गिरदावरी में दर्ज नहीं किया जिससे किसानों द्वारा उपज बेंचे जाने के लिये कराये जा रहे बिक्री पंजीयन आनलाईन नहीं हो सका है। जिन किसानों का पंजीयन हुआ भी है उनकी उपज के अनुसार खरीदी की अनुमतिनहीं दी गई है।

जिले के सेमरिया सहकारी समिति के आधा दर्जन से ज्यादागॉवों के किसान आज भी दस्तावेज लेकर समिति और पटवारी का चक्कर लगा रहें हैं। उस पर भी राहत नहीं मिली तो तहसीलदार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई किन्तु वहॉ भी पोर्टल बन्द होने की बात कह कर किसानों की मदत करने के

बजाय हॉथ खडे कर दिये।  आलम कुछ इस कदर हो चले हैं कि गॉव के सरपंच से लेकर विधायक तक एवं सचिव से लेकर कलेक्ट्रेट  तक चक्कर लगा लगा रहे हैं

फिर भी समस्या यथावत बनी हुई है। जिले के ज्यादातर गॉवों में प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते किसानों की फसल उपज विक्री करने का पंजीयन गिरदावरी में नहीं हुआ है, जिसके चलते किसान अपनी फसल को सेवा सहकारी समिति में विक्री नहीं कर पा रहा है।

औने पौने दाम में उपज बेचनें को मजबूर किसान –

जिले में बनाये गये खरीदी केन्द्रो में किसानों को अपनी उपज बेचनें की अनुमति सरकार से नहीं मिल पाई जिसका फायदा जिले के व्यापारी उठाना शुरू

कर दिये हैं, समितियों में निर्धारित दाम से आधे दाम पर किसानों के धान की फसल की खरीदी कर रहे हैं। कर्ज लेकर किसानों ने बोनी किया था अब जब

उपज बेंचने की बारी आयी तो सरकारी नुमाइंन्दों  की लापरवाही के कारण सरकारी दॉम पर उपज नहीं बेंच पा रही हैं, पहले पटवारी ने सर्वे में धान की जगह खेतों को परती लिख दिया, उसके बाद सहकारी समितियों के प्रबंधको ने तकनीकी खामी बता कर पंजीयन ही नहीं किया अब किसानों के सामनेंव्यापारियों के हॉथों उपज बेंचने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है।

89 किसान हुए फसल उपज बेचनें से बंचित –

जिले के सेमरिया सहकारी समिति के 89 किसानों को अपनी उपज बेंचने से बंचित होना पडा है, उन किसानों के दस्तावेज तब लौटाये जा रहे जब किसान अपनी फसललेकर खरीदी केन्द्र में पहुॅच जाते हैं तो उन्हे पंजीयन न होने की जानकारी देकर लौटा दिया जाता है जबकि किसान पंजीयन कराने के दौरान समिति

प्रबंधको को दस्तावेज दिखा कर यह संतुष्टि प्राप्त कर लिया था कि उनकेउपज बेंचने की अनुमति के लिये समुचित दस्तावेज उपलब्ध करा दिये गये हैं।

पोर्टल में दर्ज होने के बाद उन्हे कितनी उपज बेंचने की अनुमति मिलती हैं इसकी जानकारी फोन के माध्यम से दे दी जायेगी लेकिन सेमरिया सहकारी समिति

के प्रबंधक नें किसानों को जानकारी नहीं दी जिससे किसान समय रहते पोर्र्टल में अपना नाम दर्ज नहीं करा सके आज उन्हे अपनी फसल बेंचने के लिये दर दर की ठोकरें खाने के लिये मजबूर होना पड रहा है। यह तो अकेले सेमरिया समिति की बात हो गई है पूरे जिले में यही हालात निर्मित किये गये हैं। जिन किसानों का पंजीयन कर भी दिया गया है उनकी उपज बेंचनें की अनुमति ही आधे से कम कर दी गई है।

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